नए सी एम कमलनाथ पहली बार ही 2018 में दिग्गविजय सिंह की नर्मदा यात्रा में शामिल हुए थे और उसी वर्ष हुए चुनाव में जीतकरमुख्यमंत्री बन गए.खुद दिग्गविजय सिंह भी चाहते थे की कमलनाथ सी एम बनें ..कहते हैं माँ नर्मदा प्रदेश की जीवन रेखा है लेकिन सच यही है कि इस सूबे में सत्ता भी उनके आशीर्वाद से ही मिलती है...देश की जीवनरेखा माँ नर्मदा की आराधना और यात्रा को सत्ता परिवर्तन के लिए जाना जाता है कहते है नर्मदा के अलग अलग घाटो पर इंदिरा शासन के दौरान मोररजि देसाई ने तो दिग्गविजय सिंह के शासन काल में उमा भारती ने तपस्या की..पौराणिक कहानियो में भी नर्मदा घाटो का ऐसा ही महत्व बताया गया है वनवास के दौरान भगवान् राम ने तो अज्ञातवास में पांडवो ने यहाँ आकर तपस्या की..नर्मदाविद् डाक्टर गोपालप्रसाद खड्डर के मुताबिक़ ऐसे कई किस्से है जो बताते है की अपना राजपाठ वापिस पाने के लिए राजे महाराजो से लेकर अब तक कई राजनेताओ ने माँ नर्मदा को प्रसन्न करने के लिए जप तप और यात्राये की है...
बांद्राभान भी एक ऐसा ही घाट है जहां होता है नर्मदा और तवा का संगम..और इससे जुड़े है कई पौराणिक प्रसंग और राजनैतिक किस्से...कहते है इस घाट का नाम बांद्राभान इसीलिए पड़ा की श्राप के कारण एक राजा का राजपाठ चला गया था और उनका चेहरा बन्दर जैसा हो गया था लेकिन यहाँ स्नान के बाद उस राजा को मुक्ति मिली थी..इस घाट पर ही अज्ञातवास के दौरान पांडवो ने सत्ताप्राप्ति के लिए यज्ञ किया और राम भी वनवास के दौरान इस क्षेत्र में आये|अगर देश और प्रदेश की राजनीति की बात करे तो पूर्व सी एम शिवराज के मुख्य सलाहकार रहे शिव चौबे कहते है कांग्रेस शासन के दौरान मोरारजी देसाई ने आकर यहां माँ नर्मदा का अभिषेक किया और सत्ता परिवर्तन हुआ वही प्रदेश की राजनीति की बात कहे तो उमा भारती ने यहाँ आकर तपस्या की और दिग्गविजय सिंह से सत्ता लेकर सी एम् बनी....नर्मदा प्रदेश की जीवन रेखा है और कहते है की नर्मदा की सेवा के बिना प्रदेश का विकास संभव भी नहीं और पुराणों की बात करे या वर्तमान राजनीति के इतिहास की माँ नर्मदा के आशीर्वाद के बिना राजपद मिलना भी मुश्किल है और से संभालना भी मुश्किल..
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