Tuesday, January 9, 2018

एम पी में मिड डे मील में बच्चो को रोटी और नमक

शिवराज सरकार द्वारा  सर्व शिक्षा अभियान व् स्कूल चले हम योजनाओ के तहद  तमाम वादे किये गये और भी अन्य योजनाये चलाकर हजार दावे और वादे करते नही थकती लेकिन उन्हें क्या अंदाजा हे की उनके प्रदेश में  भांजे भांजियों के साथ क्या हाल  हो रहा हे मध्यप्रदेश एक ऐसा स्कूल है  जहा बच्चे नमक रोटी और नाले का पानी पीने को मजबूर है और फिर भी पेड़ के नीचे बैठकर कर शिक्षा प्राप्त कर रहे है ओर तो ओर शौचालय की भी कोई व्यवस्था नहीं ,यह हाल प्रदेश के सूबे के छतरपुर में है जंहा स्कूल की बदहाली के चलते बच्चे खेत से निकले नाले के गंदे पानी को मजबूर है और मध्यान भोजन में परोसा नमक रोटी खाने को मजबूर है
मामला मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले  राजनगर ब्लॉक अंतर्गत सूरजपुरा (बगुलिया पुरवा )प्रा शाला का जहाँ पिछले कई महीनो से खाना और पीने के पानी को लेकर शिकायत मिल रही थी जब हमने वहाँ जाकर देखा तो वास्तव में हैरान कर देने बाली तस्वीर सामने आयी की छोटे -छोटे बच्चे नाली का पानी व् नमक रोटी खाने को मजबूर हे और जब बच्चो से मामले में बात की तो उन्होंने बताया की ये किस्सा आज का नहीं बल्कि सालो से चला आ रहा किसी भी अधिकारी को इस किस्से की कानो कान भनक भी नहीं कोई एक अधिकारी इनकी सुध लेने पहुँचा लेकिन वह  भी आश्वासन देकर वापिस लौट गया इस स्कूल की जो बिल्डिंग वो अभी निर्माणधीन हे उसका पता नहीं की कब बनकर तैयार होगी न हाल फिलहाल कोई शौचालय व्यवस्था ,प्रदेश सरकार भले ही करोडो रुपए खर्च करले लेकिन आखिरकार कुपोषण कैसे ख़त्म होगा जब बच्चो को पोषण आहार के नाम पर नमक रोटी दी जाती हो  बिगुलिया पुरा गांव की तस्वीरे बता रही है लेकिन शिक्षक की माने तो उसने रटे हुये शब्दों के अनुसार जबाब दिया  खाने के मीनू की बात की गई तो उन्होंने बताया की पता नहीं आज बच्चो को क्या बाटा गया जब उनसे बताया की बच्चो ने बताया की नमक रोटी बाटी गई तो उन्होंने अपना पलड़ा झाड़ लिया और पानी की व्यवस्था पर बोले की पानी व्यवस्था हे और जब उनसे स्कूल की बिल्डिंग के बारे में पूछा तो बताया की  गांव में कई सालो से इसी तरह खुले आसमान में बच्चो को शिक्षा प्रदान की जा रही है और नया स्कूल भवन निर्माणधीन हे
   रसोइया से बात की और पूछा गया की बच्चो को नमक रोटी कब से देती आ रही तो उसने बताया की आज ही दी हे इसके पहले दाल ,रोटी,सब्जी ही देते आ रहे हे इससे अंदाजा लगाया जा सकता हे की ये वाकया आज का नहीं बल्कि बच्चो कई समय से ऐसा खाना खिलाया जा रहा होगा और पीने के पानी की बात कही तो रसोइया ने भी स्वीकारा की बच्चे नाली का पानी पीते हे जो मात्र एक साधन हे।
 सरकार लाख दावे करे ,कि उनकी सरकार शिक्षा के क्षेत्र में बच्चो के स्वास्थ्य को लेकर भले ही करोडो रूपए खर्च कर रही है लेकिन आज भी सरकारी स्कूल बुनयादी समस्याओं से जूझ रहे है

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