भोपाल: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ना सिर्फ BCCI को बल्कि मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन(MPCA) को भी तगड़ा झटका लगा है।
MPCA के चेयरमैन ज्योतिरादित्य सिंधिया और अध्यक्ष संजय जगदाले MPCA से बाहर हो गए हैं।
इनके अलावा MPCA के उपाध्यक्ष एमके भार्गव और अशोक जगदाले ने भी इस्तीफ़ा दे दिया है।
दरअसल जस्टिस आरएम लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें लागू करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने BCCI के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को हटा दिया।
इन सिफ़ारिशों के प्रभाव में MPCA के उपाध्यक्षों ने भी इस्तीफ़ा दे दिया, तो वहीं चेयरमैन ज्योतिरादित्य सिंधिया और अध्यक्ष संजय जगदाले एसोसिएशन से बाहर हो गए।
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्देश दिए हैं उनके मुताबिक 4 ऑफिस बीयरर इससे प्रभावित हुए हैं।
इनमें अशोक जगदाले और डॉ. भार्गव 70 साल पूरे कर चुके हैं। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया और संजय जगदाले को 9 साल से एसोसिएशन के पदाधिकारी होने के कारण हटाया गया है।
आपको बता दें, कि ज्योतिरादित्य सिंधिया 2004 से पदाधिकारी हैं।
वो पहले चेयरमैन, फिर अध्यक्ष और वर्तमान में फिर चेयरमैन हैं। संजय जगदाले भी 1998 से 2010 तक MPCA के सचिव रहे हैं।
इसके बाद 2014 से MPCA के अध्यक्ष हैं। इसके बीच करीब 2 साल BCCI के सचिव भी रहे हैं।
क्या है सिफारिशें?
लोढ़ा कमेटी की कुछ मुख्य सिफारिशें आपको बताते हैं।
-लोढ़ा पैनल ने एक अहम सिफारिश ये की थी कि 70 साल से अधिक की उम्र का कोई भी व्यक्ति बीसीसीआई या राज्य बोर्ड की किसी भी कमेटी का सदस्य ना बने।
-पैनल ने कहा था कि किसी भी राज्य में सिर्फ एक ही संघ होना चाहिए और एक राज्य सिर्फ एक वोट कर सकता है।
-अगर एक राज्य में एक से ज्यादा क्रिकेट संघ है तो वह रोटेशन के तहत वोट दें।
-बीसीसीआई की कार्यकारिणी कमेटी में कोई भी मंत्री या सरकारी अधिकारी ना हो।
-टीम चयन के लिए पांच सदस्यों की जगह तीन सदस्य वाली चयन समिति बने।
-पैनल ने कहा कि एक पदाधिकारी एक बार में केवल तीन साल के लिए ही बीसीसीआई की कार्यकारिणी का सदस्य रहे और ज्यादा से ज्यादा तीन बार बीसीसीआई का चुनाव लड़े।
-लगातार दो बार कोई भी पदाधिकारी किसी भी पद पर नहीं रह सकता।
-आईपीएल और बीसीसीआई की अलग-अलग संचालन संस्था हो।
-आईपीएल और राष्ट्रीय कैलेंडर के बीच 15 दिन का अंतर होना चाहिए यानी आईपीएल ख़त्म होने के 15 दिन के बाद खिलाड़ी कोई भी अंतरराष्ट्रीय मैच खेल सकता है।
-एक सदस्य सिर्फ एक पद पर रहे चाहे वो राज्य क्रिकेट बोर्ड के किसी समिति का हो या बीसीसीआई की मूल समिति का हो।
MPCA के चेयरमैन ज्योतिरादित्य सिंधिया और अध्यक्ष संजय जगदाले MPCA से बाहर हो गए हैं।
इनके अलावा MPCA के उपाध्यक्ष एमके भार्गव और अशोक जगदाले ने भी इस्तीफ़ा दे दिया है।
दरअसल जस्टिस आरएम लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें लागू करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने BCCI के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को हटा दिया।
इन सिफ़ारिशों के प्रभाव में MPCA के उपाध्यक्षों ने भी इस्तीफ़ा दे दिया, तो वहीं चेयरमैन ज्योतिरादित्य सिंधिया और अध्यक्ष संजय जगदाले एसोसिएशन से बाहर हो गए।
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्देश दिए हैं उनके मुताबिक 4 ऑफिस बीयरर इससे प्रभावित हुए हैं।
इनमें अशोक जगदाले और डॉ. भार्गव 70 साल पूरे कर चुके हैं। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया और संजय जगदाले को 9 साल से एसोसिएशन के पदाधिकारी होने के कारण हटाया गया है।
आपको बता दें, कि ज्योतिरादित्य सिंधिया 2004 से पदाधिकारी हैं।
वो पहले चेयरमैन, फिर अध्यक्ष और वर्तमान में फिर चेयरमैन हैं। संजय जगदाले भी 1998 से 2010 तक MPCA के सचिव रहे हैं।
इसके बाद 2014 से MPCA के अध्यक्ष हैं। इसके बीच करीब 2 साल BCCI के सचिव भी रहे हैं।
क्या है सिफारिशें?
लोढ़ा कमेटी की कुछ मुख्य सिफारिशें आपको बताते हैं।
-लोढ़ा पैनल ने एक अहम सिफारिश ये की थी कि 70 साल से अधिक की उम्र का कोई भी व्यक्ति बीसीसीआई या राज्य बोर्ड की किसी भी कमेटी का सदस्य ना बने।
-पैनल ने कहा था कि किसी भी राज्य में सिर्फ एक ही संघ होना चाहिए और एक राज्य सिर्फ एक वोट कर सकता है।
-अगर एक राज्य में एक से ज्यादा क्रिकेट संघ है तो वह रोटेशन के तहत वोट दें।
-बीसीसीआई की कार्यकारिणी कमेटी में कोई भी मंत्री या सरकारी अधिकारी ना हो।
-टीम चयन के लिए पांच सदस्यों की जगह तीन सदस्य वाली चयन समिति बने।
-पैनल ने कहा कि एक पदाधिकारी एक बार में केवल तीन साल के लिए ही बीसीसीआई की कार्यकारिणी का सदस्य रहे और ज्यादा से ज्यादा तीन बार बीसीसीआई का चुनाव लड़े।
-लगातार दो बार कोई भी पदाधिकारी किसी भी पद पर नहीं रह सकता।
-आईपीएल और बीसीसीआई की अलग-अलग संचालन संस्था हो।
-आईपीएल और राष्ट्रीय कैलेंडर के बीच 15 दिन का अंतर होना चाहिए यानी आईपीएल ख़त्म होने के 15 दिन के बाद खिलाड़ी कोई भी अंतरराष्ट्रीय मैच खेल सकता है।
-एक सदस्य सिर्फ एक पद पर रहे चाहे वो राज्य क्रिकेट बोर्ड के किसी समिति का हो या बीसीसीआई की मूल समिति का हो।
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