कहते है आप जिससे डरते है उसे ही सबसे ज्यादा एटिट्युड दिखाते है अक्सर साझा मंचो पर ये साफ दिखता है की नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के सी एम शिवराज के साथ कुछ ऐसा ही व्यवहार करते दिखते है ..क्या यहाँ भी ये ही बात फिट होती है ...चलिये जान लेते है कि सी एम शिवराज की वो कौनसी बाते है जिससे विचलित हो जाते है देश के प्रधानमंत्री......
1.उदारता- सबसे बडा अंतर सी एम शिवराज और पी एम मोदी मे यही है..मोदी को उनके केबिनेट के सद्स्य भी उदार नही मानते लेकिन शिवराज को अल्प्संख्यको मे भी भारी सम्मान मिलता है \
2.बेहद धार्मिक-शिवराज धार्मिक आयोजन किसी भी मजहब का हो पुरी शिद्दत से उसमे भाग लेते है,उनका धर्म ज्ञान का दायरा भी बेहद विस्तृत है यही कारण है की चाहे हिंदु हो मुसलमान हो सिख हो या अन्य कोई धर्मावलम्बी सब पर वो एक छाप छोडते है ।
3-निर्णय लेने मे परिपक्व-नोटबंदी के बाद बी जे पी को हर स्तर पर डेमेज कंट्रोल मे जुटना पडा है ,जनता बुरी तरह परेशान हुयी और सरकार हर दिन निर्णय बदलते नजर आयी इस तरह की स्थिति शिवराज सरकार के निर्णयो के बाद कभी नही बनी
4-सबके लिये सम्मान-शिवराज हमेशा अपने वरिष्ठो के सम्मान मे खडे नजर आते है वही आडवाणी ,मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गज मोदी के व्य्वहार से बेहद दुखी है ।
5-संघ का सपोर्ट-अमित शाह और नरेंद्र मोदी गुट की संघ से ट्युनिंग पर अक्सर सवाल उठे है वही शिवराज मोहन भागवत से लेकर सुरेश सोनी तक सबके चहेते है ऐसे मे मोदी को कई दफा बडे निर्णयो मे संघ का विरोध सहना पडा तो शिवराज को तारीफ मिली।
बी जे पी की राष्ट्रीय कार्यकरिणी की बैठक मे नोटबंदी का मुद्दा हावी रहा है वही उसी दौरान एम पी मे तीन नगरीय निकायो मे बी जे पी जीत गयी ..भले ही ये जीत बहुत छोटे स्तर की है पर हमेशा टाईमिंग इम्पोर्टेंट होती है ऐसे मे अगले लोकसभा चुनाव के समय पी एम पद के लिये बी जे पी का चेहरा बदल भी सकता है इस बात की सुगबुगाहट इस बैठक मे साफ दिखी...
1.उदारता- सबसे बडा अंतर सी एम शिवराज और पी एम मोदी मे यही है..मोदी को उनके केबिनेट के सद्स्य भी उदार नही मानते लेकिन शिवराज को अल्प्संख्यको मे भी भारी सम्मान मिलता है \
2.बेहद धार्मिक-शिवराज धार्मिक आयोजन किसी भी मजहब का हो पुरी शिद्दत से उसमे भाग लेते है,उनका धर्म ज्ञान का दायरा भी बेहद विस्तृत है यही कारण है की चाहे हिंदु हो मुसलमान हो सिख हो या अन्य कोई धर्मावलम्बी सब पर वो एक छाप छोडते है ।
3-निर्णय लेने मे परिपक्व-नोटबंदी के बाद बी जे पी को हर स्तर पर डेमेज कंट्रोल मे जुटना पडा है ,जनता बुरी तरह परेशान हुयी और सरकार हर दिन निर्णय बदलते नजर आयी इस तरह की स्थिति शिवराज सरकार के निर्णयो के बाद कभी नही बनी
4-सबके लिये सम्मान-शिवराज हमेशा अपने वरिष्ठो के सम्मान मे खडे नजर आते है वही आडवाणी ,मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गज मोदी के व्य्वहार से बेहद दुखी है ।
5-संघ का सपोर्ट-अमित शाह और नरेंद्र मोदी गुट की संघ से ट्युनिंग पर अक्सर सवाल उठे है वही शिवराज मोहन भागवत से लेकर सुरेश सोनी तक सबके चहेते है ऐसे मे मोदी को कई दफा बडे निर्णयो मे संघ का विरोध सहना पडा तो शिवराज को तारीफ मिली।
बी जे पी की राष्ट्रीय कार्यकरिणी की बैठक मे नोटबंदी का मुद्दा हावी रहा है वही उसी दौरान एम पी मे तीन नगरीय निकायो मे बी जे पी जीत गयी ..भले ही ये जीत बहुत छोटे स्तर की है पर हमेशा टाईमिंग इम्पोर्टेंट होती है ऐसे मे अगले लोकसभा चुनाव के समय पी एम पद के लिये बी जे पी का चेहरा बदल भी सकता है इस बात की सुगबुगाहट इस बैठक मे साफ दिखी...
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