अखिलेश और मुलायम के बीच चल रही कुंबे की लडाई को लेकर अब तक ये वहम रहा है की ये एक ड्रामा हो सकता है लेकिन शनिवार को जो हुआ उसने सबित कर दिया है की ये लडाई वाकई मे लडाई ही है कोइ स्क्रिप्टेड वार नही....समाजवादी पार्टी में चल रहा गतिरोध आज भी शनीवार को भी दूर होता नहीं दिखा। सुलह के ताजा प्रयासों के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पिता मुलायम सिंह यादव खेमों के बीच समझौते के आसार नहीं नजर आये। मुलायम अपने पांच, विक्रमादित्य मार्ग स्थित आवास पर रहे। उनसे छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव, वरिष्ठ सपा नेता आजम खां और अंबिका चौधरी ने मुलाकात की। विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद और कुछ अन्य नेता भी मुलायम से मिले लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
मुलायम के आवास से बाहर निकल रहे अंबिका चौधरी बोले, ‘‘सब ठीक हो जाएगा। सपा एक रहेगी।’’ सपा कोषाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद संजय सेठ अखिलेश से उनके आवास पर मिले। मकसद सुलह कराना था। चुनाव आयोग ने मुलायम और अखिलेश पक्ष को ‘साइकिल’ चुनाव निशान पर किए गए दावे के पक्ष में साक्ष्य पेश करने के लिए नौ जनवरी तक का समय दिया है।
अखिलेश के चाचा रामगोपाल यादव ने दावा किया है कि उनके पास 229 में से 212 विधायकों, 68 विधान परिषद सदस्यों में से 56 और 24 सांसदों में से 15 के दस्तखत हैं। इसके अलावा 5,000 प्रतिनिधियों में से अधिकांश के दस्तखत हैं। ‘‘इससे स्पष्ट हो गया है कि असली सपा कौन सी है।’’ इटावा में मुलायम के भाई अभयराम यादव ने शिवपाल की तारीफ की और परिवार एवं पार्टी के मौजूदा संकट का दोष अखिलेश पर मढ़ा। सवालों के जवाब में उन्होंने संवाददाताआें से कहा कि अखिलेश अडियलपन दिखा रहे हैं। शिवपाल अखिलेश को स्कूल ले जाते थे और उनकी देखभाल करते थे।
सुलह की कोशिश में ही शिवपाल ने कल अखिलेश से भेंट की थी। उम्मीद जगी कि कुछ सकारात्मक नतीजा आएगा। एक समय तो लगा कि समझौता हो गया है। मीडिया को संदेश मिला कि मुलायम आपात प्रेस कांफ्रेंस करेंगे और कोई बडा एेलान होगा लेकिन कुछ ही मिनट में बिना कोई वजह बताये प्रेस कांफ्रेंस रदद कर दी गयी।
सपा सांसद अमर सिंह ने कहा कि वह पिता पुत्र में समझौता चाहते हैं और वह मुख्यमंत्री की राह का रोड़ा नहीं हैं। मौजूदा गतिरोध की वजह हालांकि अमर सिंह को ही माना जा रहा है। अमर सिंह के इस्तीफे की अटकलें भी चल रही हैं। एक संभावना ये भी है कि शिवपाल प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दें। पारिवारिक अंतर्कलह शुरू होने से पहले अखिलेश सपा के प्रदेश अध्यक्ष थे।
मुलायम के आवास से बाहर निकल रहे अंबिका चौधरी बोले, ‘‘सब ठीक हो जाएगा। सपा एक रहेगी।’’ सपा कोषाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद संजय सेठ अखिलेश से उनके आवास पर मिले। मकसद सुलह कराना था। चुनाव आयोग ने मुलायम और अखिलेश पक्ष को ‘साइकिल’ चुनाव निशान पर किए गए दावे के पक्ष में साक्ष्य पेश करने के लिए नौ जनवरी तक का समय दिया है।
अखिलेश के चाचा रामगोपाल यादव ने दावा किया है कि उनके पास 229 में से 212 विधायकों, 68 विधान परिषद सदस्यों में से 56 और 24 सांसदों में से 15 के दस्तखत हैं। इसके अलावा 5,000 प्रतिनिधियों में से अधिकांश के दस्तखत हैं। ‘‘इससे स्पष्ट हो गया है कि असली सपा कौन सी है।’’ इटावा में मुलायम के भाई अभयराम यादव ने शिवपाल की तारीफ की और परिवार एवं पार्टी के मौजूदा संकट का दोष अखिलेश पर मढ़ा। सवालों के जवाब में उन्होंने संवाददाताआें से कहा कि अखिलेश अडियलपन दिखा रहे हैं। शिवपाल अखिलेश को स्कूल ले जाते थे और उनकी देखभाल करते थे।
सुलह की कोशिश में ही शिवपाल ने कल अखिलेश से भेंट की थी। उम्मीद जगी कि कुछ सकारात्मक नतीजा आएगा। एक समय तो लगा कि समझौता हो गया है। मीडिया को संदेश मिला कि मुलायम आपात प्रेस कांफ्रेंस करेंगे और कोई बडा एेलान होगा लेकिन कुछ ही मिनट में बिना कोई वजह बताये प्रेस कांफ्रेंस रदद कर दी गयी।
सपा सांसद अमर सिंह ने कहा कि वह पिता पुत्र में समझौता चाहते हैं और वह मुख्यमंत्री की राह का रोड़ा नहीं हैं। मौजूदा गतिरोध की वजह हालांकि अमर सिंह को ही माना जा रहा है। अमर सिंह के इस्तीफे की अटकलें भी चल रही हैं। एक संभावना ये भी है कि शिवपाल प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दें। पारिवारिक अंतर्कलह शुरू होने से पहले अखिलेश सपा के प्रदेश अध्यक्ष थे।
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