पटना साहिब में हुए प्रकाश उत्सव के अंतिम दिन राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव मंच पर नहीं जमीन पर बैठे. इस मुद्दे पर जारी बवाल के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पर सोमवार को सफाई दी. उन्होंने कहा कि कौन कहां बैठेगा यह फैसला तख्त हरमंदिर साहिब की समिति ने किया था. गुरुद्वारे में कोई कुर्सी पर नहीं बैठता, बल्कि सब जमीन पर बैठते हैं.
नीतीश ने कहा कि प्रकाश पर्व पर मिली वाहवाही बिहार के कुछ लोगों को अच्छी नहीं लगी. यह विवाद कुछ चंद लोगों का नजरिया दर्शाता है. उन्होंने संवाददाता सम्मलेन में ऐसे लोगों को अब सुधरने की सलाह दे डाली.
पूरे आयोजन की फंडिंग से संबंधित विवाद पर भी नीतीश ने कहा कि यह सब कुछ राज्य सरकार ने अपने सामर्थ्य से किया. सब कुछ अच्छी नीयत और उत्साह से किया गया इसलिए कार्यक्रम सफल हुआ, लेकिन नीतीश ने सफल आयोजन के लिए अपने सारे अधिकारियो को एक बार फिर से बधाई दी.
हालांकि लालू यादव ने रविवार को इस पूरे प्रकरण पर बोलते हुए कहा था कि कौन-कहां बैठा है यह महत्व की बात नहीं और उन्हें कोई तकलीफ नहीं, क्योंकि यह एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं बल्कि धार्मिक कार्यक्रम था. उनकी पार्टी के पूर्व सांसद और वरिष्ठ नेता रघुबंश प्रसाद सिंह ने इस पूरे विवाद की शुरुआत यह कहकर की थी कि महागठबंधन के लालू यादव सबसे वरिष्ठ नेता हैं और जमीन पर बिठा कर उनका अपमान किया गया है. वहीं बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने यह कहकर विवाद को एक नया मोड़ दिया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई सूची में लालू यादव का नाम ही नहीं था और राज्य सरकार को उन्हें मंच पर बिठाने के लिए अनुमति लेनी चाहिए थी.
नीतीश ने कहा कि प्रकाश पर्व पर मिली वाहवाही बिहार के कुछ लोगों को अच्छी नहीं लगी. यह विवाद कुछ चंद लोगों का नजरिया दर्शाता है. उन्होंने संवाददाता सम्मलेन में ऐसे लोगों को अब सुधरने की सलाह दे डाली.
पूरे आयोजन की फंडिंग से संबंधित विवाद पर भी नीतीश ने कहा कि यह सब कुछ राज्य सरकार ने अपने सामर्थ्य से किया. सब कुछ अच्छी नीयत और उत्साह से किया गया इसलिए कार्यक्रम सफल हुआ, लेकिन नीतीश ने सफल आयोजन के लिए अपने सारे अधिकारियो को एक बार फिर से बधाई दी.
हालांकि लालू यादव ने रविवार को इस पूरे प्रकरण पर बोलते हुए कहा था कि कौन-कहां बैठा है यह महत्व की बात नहीं और उन्हें कोई तकलीफ नहीं, क्योंकि यह एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं बल्कि धार्मिक कार्यक्रम था. उनकी पार्टी के पूर्व सांसद और वरिष्ठ नेता रघुबंश प्रसाद सिंह ने इस पूरे विवाद की शुरुआत यह कहकर की थी कि महागठबंधन के लालू यादव सबसे वरिष्ठ नेता हैं और जमीन पर बिठा कर उनका अपमान किया गया है. वहीं बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने यह कहकर विवाद को एक नया मोड़ दिया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई सूची में लालू यादव का नाम ही नहीं था और राज्य सरकार को उन्हें मंच पर बिठाने के लिए अनुमति लेनी चाहिए थी.
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