ये क्या हो रहा है एक नए पोर्नोग्राफी ऐप को एक महीने से भी कम समय में 10 लाख से ज्यादा बार डाउनलोड किया गया है।
इससे पता चलता है कि पोर्नोग्राफी का बाजार दुनिया भर में कितना बड़ा है और नई टेक्नॉलॉजी की वजह से ये पहले के मुकाबले अधिक तेजी से बढ़ रहा है। इंटरनेट इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का मानना है कि नेट का 30 फीसदी हिस्सा पोर्न से भरा है।
कुछ लोग तो यहाँ तक दावा करते हैं कि 70 फीसदी पुरुषों ने पोर्न देखा है और उनमें से काफी लोग नियमित तौर पर इसे देखते हैं।
पोर्न बाजार में तेजी
पोर्नोग्राफी का दुनिया भर में इतना बड़ा बाजार है कि 'हफिंगटन पोस्ट' का कहना है कि नेटफ्लिक्स, अमेजन और ट्विटर के ट्रैफिक से भी ज्यादा ट्रैफिक इन पर होता है।
इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि यूपोर्न जैसी वेबसाइट हुलु के मुकाबले छह गुना ज्यादा बैंडविड्थ का इस्तेमाल करती हैं। यूपोर्न एक पोर्न साइट है और हुलु पर लोग लोकप्रिय टीवी कार्यक्रमों को इंटरनेट के जरिए देखते हैं।
टेक न्यूज की वेबसाइट वेंचरबीट को दिए गए एक इंटरव्यू में पॉर्नटाइम के रिचर्ड ने कहा है कि वो भी 10 लाख डाउनलोड की संख्या इतनी जल्दी पहुंचने से हैरान हैं। उन्होंने कहा, "मुझे और मेरी टीम को इसकी बिल्कुल उम्मीद नहीं थी।"
मोबाइल फोन, एचडी टेक्नॉलॉजी और ब्रॉडबैंड की बढ़ती रफ्तार के कारण इस बाजार ने तेजी पकड़ी है।
पोर्नोग्राफी का दुनिया भर में इतना बड़ा बाजार है कि 'हफिंगटन पोस्ट' का कहना है कि नेटफ्लिक्स, अमेजन और ट्विटर के ट्रैफिक से भी ज्यादा ट्रैफिक इन पर होता है।
इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि यूपोर्न जैसी वेबसाइट हुलु के मुकाबले छह गुना ज्यादा बैंडविड्थ का इस्तेमाल करती हैं। यूपोर्न एक पोर्न साइट है और हुलु पर लोग लोकप्रिय टीवी कार्यक्रमों को इंटरनेट के जरिए देखते हैं।
टेक न्यूज की वेबसाइट वेंचरबीट को दिए गए एक इंटरव्यू में पॉर्नटाइम के रिचर्ड ने कहा है कि वो भी 10 लाख डाउनलोड की संख्या इतनी जल्दी पहुंचने से हैरान हैं। उन्होंने कहा, "मुझे और मेरी टीम को इसकी बिल्कुल उम्मीद नहीं थी।"
मोबाइल फोन, एचडी टेक्नॉलॉजी और ब्रॉडबैंड की बढ़ती रफ्तार के कारण इस बाजार ने तेजी पकड़ी है।
नब्बे के दशक में डायल-अप इंटरनेट कनेक्शन पर जो लोग पोर्न साइट देख सकते थे, अब उनके लिए पोर्न देखना और आसान हो गया है।
स्मार्टफोन के आने से ये पर्सनल अनुभव बन गया है। और अब स्मार्टफोन एचडी स्क्रीन वाले भी आ गए हैं जिससे पिक्चर क्वालिटी बेहतर हो गई है।
2016 की शुरुआत में उम्मीद की जा रही है कि वर्चुअल रियलिटी के प्रोडक्ट बाजार में आ जाएंगे।
ऑकुलस रिफ्ट और सैमसंग वीआर के आने के बाद पोर्नोग्राफी के बाजार में एक नई तेजी आ सकती है। पोर्न इंडस्ट्री उम्मीद कर रही है कि उसकी चांदी हो जाएगी।
पोर्नोग्राफी अरबों डॉलर की ग्लोबल इंडस्ट्री है और टेक्नोलॉजी इस इंडस्ट्री का हथियार है जिसकी मदद से ये अपना जाल फैलाती है।
भारत पीछे नहीं है
भारत दुनिया की दूसरी सबसे ज्यादा आबादी वाला देश, मोबाइल इस्तेमाल करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश, और इंटरनेट इस्तेमाल करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है।
पॉर्नहब नाम की एक कंपनी ने 2014 में भारत में पोर्नोग्राफी के ट्रेंड पर सर्वे करवाया था और इंटरनेट पोर्नोग्राफी के लिहाज से भारत दुनिया में पांचवें स्थान पर पाया गया था।
इस सर्वे में ये पाया गया कि देश के 50 फीसदी लोग अपने स्मार्टफोन से ऑनलाइन पोर्नोग्राफी वेबसाइट पर जाते हैं।
पॉर्न साइट देखने वाला औसत भारतीय सात पेज से ज्यादा देखता है जो कि दुनिया के औसत से तीन गुना अधिक है।
सर्वे में ये भी पता चला कि मिजोरम, दिल्ली, मेघालय और महाराष्ट्र में पोर्नोग्राफी देखने वालों का सबसे बड़ा बाजार है। भारत से इंटरनेट पोर्नोग्राफी देखने वालों में एक-चौथाई हिस्सा महिलाओं का भी है। ये हाल तब है जब भारत में टेलीकॉम नेटवर्क पर पॉर्न ट्रांसमिट करना ग़ैरकानूनी है।
अब बात नई टेक्नॉलॉजी की
ऑकुलस रिफ्ट एक वर्चुअल रियलिटी हेडसेट है जिसे आप चश्मे की तरह पहनते हैं और सब कुछ 3-डी में दिखता है। इस पर जो भी वीडियो चल रहा होगा उसको सिर्फ आप ही देख सकते हैं।
इसका मतलब यही है कि छिपकर या दरवाजा बंद करके पॉर्न देखने के दिन गए, अब एचडी और 3-डी क्वालिटी में लोग ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठकर चारों तरफ से बंद हेडसेट पर पॉर्न देखेंगे और पूछने पर कहेंगे, "मैं तो टाइटैनिक देख रहा हूँ"।
अगले साल की शुरुआत में ये बाजार में आ जाएगा। ऐसा नहीं है कि लोग इस पर सिर्फ पॉर्न देखेंगे, गेमिंग के शौकीन इसे लेकर बहुत उत्साहित हैं, लेकिन पॉर्न इंडस्ट्री भी एक नई संभावना को लेकर खुश है।
पॉर्नटाइम के रिचर्ड ने वेंचरबीट को बताया, "हम 2016 में ऑकुलस रिफ्ट के लॉन्च का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। मुझे ये पता है कि हमारे लिए ये बिल्कुल परफेक्ट मैच है, इसके लिए कंटेट बनाना हमारा लक्ष्य है"। गंदा है, पर करोड़ों का धंधा है ये।
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