Sunday, January 1, 2017

सपा का विशेष राष्‍ट्रीय अधिवेशन: अखिलेश राष्ट्रीय अध्यक्ष, शिवपाल को हटाने का प्रस्ताव पास

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के नये राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे जबकि सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को पद से हटा दिया गया है। सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव की ओर से बुलाये गये आपातकालीन राष्ट्रीय अधिवेशन में स्वयं रामगोपाल ने कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखे, जिन्हें सर्वसम्मति से पारित किया गया। रामगोपाल ने अखिलेश को सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसे अधिवेशन ने मंजूर किया।अधिवेशन ने मुलायम सिंह यादव को सपा का संरक्षक बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगायी तो राज्यसभा सांसद अमर सिंह को बाहर का रास्ता दिखा दिया।

मुलायम ने हालांकि पत्र जारी कर इस अधिवेशन को अवैध और असंवैधानिक करार दिया था। उन्होंने कहा कि अधिवेशन में शामिल होने वालों के खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्रवाई की जाएगी।

अधिवेशन में अखिलेश ने कहा कि वह पिता मुलायम का जितना सम्मान पहले करते थे, उससे कई गुना ज्यादा सम्मान आगे करेंगे। ‘अगर नेताजी के खिलाफ साजिश हो और पार्टी के खिलाफ साजिश हो तो नेताजी का बेटा होने की वजह से मेरी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे लोगों के खिलाफे हम खड़े हों।’

उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें ऐसी हैं जो चाहती हैं सपा की सरकार ना बनने पाये। :लेकिन: सरकार जब बनेगी और बहुमत आएगा तो सबसे ज्यादा खुशी नेताजी को होगी।

इससे पहले कार्यक्रम शुरू होने से ठीक पहले मुलायम सिंह यादव ने लेटर जारी कर इसे पार्टी संविधान के खिलाफ बताया उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे इसमें शामिल न हों। साथ ही किसी लेटर पर दस्तखत न करें। मुलायम ने फैसले से पहले शिवपाल यादव के साथ बैठक की थी।

मुलायम द्वारा असंवैधानिक घोषित किए गए इस राष्ट्रीय अधिवेशन में मंच पर मंत्री अहमद हसन, बलवन्त सिंह रामूवालिया, अरविन्द सिंह गोप, रामगोविन्द चौधरी और राजेन्द्र चौधरी समेत ज्यादातर वह नेता मौजूद थे, जो कभी सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के हमसाया हुआ करते थे। मंच पर सपा से बख्रास्त किये गये और अखिलेश के करीबी युवा नेता भी मौजूद थे।

राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने के बाद अखिलेश ने कहा कि वह हमेशा सपा मुखिया का सम्मान करते थे और अब पहले से ज्यादा सम्मान करेंगे। ‘कुछ लोग नेताजी (मुलायम) और पार्टी के खिलाफ साजिश कर रहे थे और बेटा होने के नाते मेरी जिम्मेदारी बनती थी कि हम ऐसे साजिशकर्ताओं के खिलाफ खड़े हों।’

उन्होंने खुद को सपा प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये जाने की टीस जाहिर करते हुए कहा कि अगर मुलायम उनसे प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने को कहते तो वह खुशी-खुशी पद छोड़ देते, लेकिन एक व्यक्ति ने नेताजी के घर पर टाइपराइटर मंगाकर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से बख्रास्त करने का पत्र टाइप कराया।

अखिलेश ने कहा कि जब हम सरकार बनाने जा रहे थे और समाज का हर वर्ग सपा की दोबारा सरकार बनाने का मन बना चुका था, तभी कुछ ताकतें साजिशें करने लग गयीं। अब प्रदेश में जब दोबारा सपा की सरकार बनेगी तो सबसे ज्यादा खुशी नेताजी को होगी।

भावुक हुए अखिलेश ने कहा कि नेताजी का जो स्थान है वह सबसे ऊपर है। उन्हें डर था कि चुनाव से ऐन पहले ना जाने कौन मिलकर उनसे (मुलायम) क्या करा देता। ‘मेरे पास परसों एक संदेश आया, जब पत्र खोला तो मुझे नोटिस मिला था और 10-15 मिनट बाद पता लगा कि मुझे और रामगोपाल जी को पार्टी से निकाल दिया गया। मैं अपने विधायकों समर्थकों को धन्यवाद देता हूं। मुझे पार्टी के लिये कोई भी त्याग करना होगा तो मैं करूंगा।’

उन्होंने कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए आहवान किया कि आने वाले दो-ढाई महीने बहुत महत्वपूर्ण हैं। प्रदेश में एक ऐसी धर्मनिरपेक्ष सरकार बनानी है, जो प्रदेश को खुशहाली के रास्ते पर ले जा सके।

इसके पूर्व, रामगोपाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह पार्टी का आपातकालीन अधिवेशन है। आप सब जानते हैं कि पार्टी और सरकार का काम बहुत ठीक तरीके से चल रहा था और उसी दौरान पार्टी के दो व्यक्तियों ने साजिश करके अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटवा दिया और पार्टी में एक संकट पैदा हो गया।

उन्होंने कहा कि पार्टी में टिकटों का बंटवारा मनमाने ढंग से होने लगा था। बहुत से लोगों को पार्टी से निष्कासित किया गया। प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के आदेश को नहीं माना और किसी का भी निष्कासन वापस नहीं लिया। प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष की तरफ से मनमाने असंवैधानिक फैसले लेते रहे। जो लोग पार्टी के सदस्य भी नहीं है, उन्हें टिकट दिये गये। साफ था कि ये लोग किसी भी कीमत पर नहीं चाहते थे, सपा चुनाव जीते और अखिलेश फिर मुख्यमंत्री बनें।

रामगोपाल ने कहा कि पानी जब सिर से ऊपर निकल गया तब पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं ने विशेष अधिवेशन बुलाने की मांग लिखकर दी थी। हमने दो महीने तक सुधार का इंतजार किया। तब यह निर्णय लिया गया कि पार्टी का विशेष आपातकालीन अधिवेशन बुलाया जाए।

मालूम हो कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने गत शुक्रवार को रामगोपाल द्वारा एक जनवरी को सपा का राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाये जाने के बाद रामगोपाल के साथ-साथ अखिलेश को भी पार्टी से छह साल के लिये निष्कासित कर दिया था।

अखिलेश द्वारा कल अपने आवास पर बुलायी गयी विधानमण्डल दल की बैठक में 200 से ज्यादा विधायकों के जुटने और मुलायम द्वारा पार्टी राज्य मुख्यालय पर आहूत प्रत्याशियों की बैठक में बहुत कम उम्मीदवार पहुंचने से मिले संदेश और सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां की मध्यस्थता के बाद मुलायम ने अखिलेश और रामगोपाल का निष्कासन रद्द कर दिया था। हालांकि दोनों की बर्खास्तगी की मुख्य वजह बने राष्ट्रीय अधिवेशन को बुलाने का फैसला बरकरार रखा गया था।

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