बालेश्वर (ओडिशा): भारत ने आज ओड़िशा अपतटीय क्षेत्र में एक परीक्षण स्थल से परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम अग्नि-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल प्रायोगिक परीक्षण किया। सतह से सतह पर मार करने वाली इस मिसाइल की मारक क्षमता 4,000 किलोमीटर है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के सूत्रों ने बताया कि मोबाइल लॉन्चर की मदद से, सुबह 11 बजकर करीब 55 मिनट पर अग्नि-4 को डॉ अब्दुल कलाम द्वीप स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के परिसर संख्या चार से दागा गया। डॉ अब्दुल कलाम द्वीप को पूर्व में व्हीलर द्वीप के तौर पर जाना जाता था।
परीक्षण को सफल बताते हुए सूत्रों ने कहा कि देश में निर्मित अग्नि-4 का यह छठा प्रायोगिक परीक्षण था जिसने सभी मानकों को पूरा किया। पिछला परीक्षण नौ नवंबर 2015 को भारतीय सेना की विशेष तौर पर गठित सामरिक बल कमान (एसएफसी) ने किया था जो सफल रहा। बीस मीटर लंबी और 17 टन वजन वाली इस मिसाइल की मारक क्षमता 4,000 किलोमीटर है और यह दो चरणीय मिसाइल है। डीआरडीओ के सूत्रों ने कहा, ‘अत्याधुनिक एवं सतह से सतह पर मार करने वाली यह मिसाइल आधुनिक एवं महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी से लैस है जो इसे उच्चस्तरीय विश्वसनीयता प्रदान करती है।’
अग्नि-4 मिसाइल अत्याधुनिक वैमानिकी, पांचवी पीढ़ी के ऑन बोर्ड कंप्यूटर और संवितरित संरचना से लैस है। इसमें उड़ान के दौरान उत्पन्न होने वाली दिक्कतों को सही करने और मागर्दशन की तकनीक है। सूत्रों ने बताया कि जड़त्व दिशा-निर्देशन प्रणाली (आरआईएनएस) पर आधारित अति सटीक रिंग लेजर जाइरो तकनीक और अत्यंत विश्वसनीय माइक्रो नैविगेशन सिस्टम अचूक निशाने के साथ मिसाइल का लक्ष्य तक पहुंचना सुनिश्चित करते हैं ।
अग्नि..1, 2 और 3 तथा पृथ्वी जैसी बैलेस्टिक मिसाइलें पहले से ही सशस्त्र बलों के बेड़े में हैं जो उन्हें प्रभावी प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती हैं। सूत्रों ने बताया कि इस मिसाइल के सभी मानकों को परखने के लिए ओड़िशा में समुद्र तट पर रडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल प्रणालियां लगायी गयी थीं। अंतिम घटनाक्रम पर नजर रखने के लिए लक्षित क्षेत्र में नौसेना के दो जहाज तैनात किए गए थे।अग्नि-4 के इस सफल प्रायोगिक परीक्षण से पहले 26, दिसंबर 2016 को अग्नि पांच का इसी प्रक्षेपण स्थल से सफल परीक्षण किया गया था।
परीक्षण को सफल बताते हुए सूत्रों ने कहा कि देश में निर्मित अग्नि-4 का यह छठा प्रायोगिक परीक्षण था जिसने सभी मानकों को पूरा किया। पिछला परीक्षण नौ नवंबर 2015 को भारतीय सेना की विशेष तौर पर गठित सामरिक बल कमान (एसएफसी) ने किया था जो सफल रहा। बीस मीटर लंबी और 17 टन वजन वाली इस मिसाइल की मारक क्षमता 4,000 किलोमीटर है और यह दो चरणीय मिसाइल है। डीआरडीओ के सूत्रों ने कहा, ‘अत्याधुनिक एवं सतह से सतह पर मार करने वाली यह मिसाइल आधुनिक एवं महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी से लैस है जो इसे उच्चस्तरीय विश्वसनीयता प्रदान करती है।’
अग्नि-4 मिसाइल अत्याधुनिक वैमानिकी, पांचवी पीढ़ी के ऑन बोर्ड कंप्यूटर और संवितरित संरचना से लैस है। इसमें उड़ान के दौरान उत्पन्न होने वाली दिक्कतों को सही करने और मागर्दशन की तकनीक है। सूत्रों ने बताया कि जड़त्व दिशा-निर्देशन प्रणाली (आरआईएनएस) पर आधारित अति सटीक रिंग लेजर जाइरो तकनीक और अत्यंत विश्वसनीय माइक्रो नैविगेशन सिस्टम अचूक निशाने के साथ मिसाइल का लक्ष्य तक पहुंचना सुनिश्चित करते हैं ।
अग्नि..1, 2 और 3 तथा पृथ्वी जैसी बैलेस्टिक मिसाइलें पहले से ही सशस्त्र बलों के बेड़े में हैं जो उन्हें प्रभावी प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती हैं। सूत्रों ने बताया कि इस मिसाइल के सभी मानकों को परखने के लिए ओड़िशा में समुद्र तट पर रडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल प्रणालियां लगायी गयी थीं। अंतिम घटनाक्रम पर नजर रखने के लिए लक्षित क्षेत्र में नौसेना के दो जहाज तैनात किए गए थे।अग्नि-4 के इस सफल प्रायोगिक परीक्षण से पहले 26, दिसंबर 2016 को अग्नि पांच का इसी प्रक्षेपण स्थल से सफल परीक्षण किया गया था।
No comments:
Post a Comment