नई दिल्ली : आयकर संशोधन विधेयक को लेकर सरकार पर हमले तेज करते हुए विपक्ष ने गुरुवार को इसके खिलाफ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से गुहार लगाई और आरोप लगाया कि इस विधेयक को संसदीय नियमों ओर प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए लोकसभा में जल्दबाजी में पारित कराया गया है।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामदल, बसपा, सपा, द्रमुक, और राकांपा सहित 16 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति भवन में गुरुवार शाम प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा जिसमें आरोप लगाया गया है कि ‘कठोर और अधिनायकवादी’ सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का गला घोंट रही है। जदयू विपक्षी दलों के इस शिष्टमंडल का हिस्सा नहीं थी। उल्लेखनीय है कि जदयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नोटबंदी के कदम का समर्थन किया है।
विपक्ष के ज्ञापन में कहा गया है, ‘हम आपसे आग्रह करते हैं कि संविधान के प्रहरी और संरक्षक के तौर पर यहां दखल दें क्योंकि एक कठोर और अधिनायकवादी सरकार द्वारा लोकतांत्रिक अधिकारों को तार-तार किया जा रहा है। यह सरकार हमारी संसद के लोकतांत्रिक और विधायी प्रक्रिया का गला घोंट रही है।’ इसमें कहा गया है कि इस विधेयक को पारित करते हुए संविधान के अनिवार्य प्रावधानों और प्रक्रिया के नियमों का पूरी तरह हनन हुआ है।
विपक्ष के ज्ञापन के अनुसार लोकसभा के सदस्यों ने ये मुद्दे सदन में उठाए, लेकिन उनके लोकतांत्रिक अधिकारों की यह कहकर उपेक्षा की गई कि राष्ट्रपति की संस्तुति को लेकर प्रतीक्षा के लिए समय नहीं है क्योंकि यह विधेयक बहुत महत्वपूर्ण है।
विपक्ष के ज्ञापन में कहा गया है, ‘कानून में इसकी इजाजत नहीं है और राष्ट्रपति के प्राधिकार को कमतर करने जैसा है।’
विपक्षी शिष्टमंडल का हिस्सा रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि विधेयक को पारित करते समय संसदीय प्रक्रिया का अनुसरण नहीं किया गया और संसद में भी लोगों की आवाज को बर्बरता से दबाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘हमने राष्ट्रपति से मुलाकात की क्योंकि इस विधेयक को बिना चर्चा के पारित कर दिया गया। देश में यह भावना है कि लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है।’
विपक्ष के ज्ञापन में कहा गया है कि नियम 82 के तहत यह अनिवार्य है कि मंत्री सदन को लिखित रूप से सूचित करें कि संशोधनों के लिए राष्ट्रपति की सिफारिश है या नहीं। तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि 16 विपक्षी दल साथ आए और राष्ट्रपति को बताया कि आयकर संशोधन विधेयक को कैसे लाया गया और पारित कराया गया।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामदल, बसपा, सपा, द्रमुक, और राकांपा सहित 16 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति भवन में गुरुवार शाम प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा जिसमें आरोप लगाया गया है कि ‘कठोर और अधिनायकवादी’ सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का गला घोंट रही है। जदयू विपक्षी दलों के इस शिष्टमंडल का हिस्सा नहीं थी। उल्लेखनीय है कि जदयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नोटबंदी के कदम का समर्थन किया है।
विपक्ष के ज्ञापन में कहा गया है, ‘हम आपसे आग्रह करते हैं कि संविधान के प्रहरी और संरक्षक के तौर पर यहां दखल दें क्योंकि एक कठोर और अधिनायकवादी सरकार द्वारा लोकतांत्रिक अधिकारों को तार-तार किया जा रहा है। यह सरकार हमारी संसद के लोकतांत्रिक और विधायी प्रक्रिया का गला घोंट रही है।’ इसमें कहा गया है कि इस विधेयक को पारित करते हुए संविधान के अनिवार्य प्रावधानों और प्रक्रिया के नियमों का पूरी तरह हनन हुआ है।
विपक्ष के ज्ञापन के अनुसार लोकसभा के सदस्यों ने ये मुद्दे सदन में उठाए, लेकिन उनके लोकतांत्रिक अधिकारों की यह कहकर उपेक्षा की गई कि राष्ट्रपति की संस्तुति को लेकर प्रतीक्षा के लिए समय नहीं है क्योंकि यह विधेयक बहुत महत्वपूर्ण है।
विपक्ष के ज्ञापन में कहा गया है, ‘कानून में इसकी इजाजत नहीं है और राष्ट्रपति के प्राधिकार को कमतर करने जैसा है।’
विपक्षी शिष्टमंडल का हिस्सा रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि विधेयक को पारित करते समय संसदीय प्रक्रिया का अनुसरण नहीं किया गया और संसद में भी लोगों की आवाज को बर्बरता से दबाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘हमने राष्ट्रपति से मुलाकात की क्योंकि इस विधेयक को बिना चर्चा के पारित कर दिया गया। देश में यह भावना है कि लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है।’
विपक्ष के ज्ञापन में कहा गया है कि नियम 82 के तहत यह अनिवार्य है कि मंत्री सदन को लिखित रूप से सूचित करें कि संशोधनों के लिए राष्ट्रपति की सिफारिश है या नहीं। तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि 16 विपक्षी दल साथ आए और राष्ट्रपति को बताया कि आयकर संशोधन विधेयक को कैसे लाया गया और पारित कराया गया।
No comments:
Post a Comment