नर्मदा का उद्गम
कुण्ड इस कदर गन्दा है कि उसके जल को छूने तक की इच्छा नहीं होती । कुण्ड के आसपास
भी गंदगी का साम्राज्य है । कतिपय आदिवासी एवं अन्य जातियों के लोग प्रथा के
अनुसाद मुर्दों को पत्थर से बाँधकर पानी में फेंक देते हैं । बडे-बडे नगरों जैसे
मंडला, जबलपुर, होशंगाबाद आदि में भी लोग शव अधजले या
यों ही, नदी में में
प्रवाहित कर देते हैं । जलाऊ लकडी की कमी और उसके बढते मूल्य इसके प्रमुख कारण हैं
। अन्धपरम्परा, अशिक्षा, अज्ञानता और धर्मान्धता के साथ-साथा, व्यवस्था का अभाव भी इस प्रदूषण के पीछे
कारण है ।
अमरकण्टक मे
नर्मदा कुन्ड में स्नान आदि पर तुरंत प्रतिबंध लगना चाहिए । विकल्प के रूप में
थोडी दूर पर एक अन्य कुण्ड का निर्माण इस प्रयोजन के लिए कराया जा सकता है ।
नीलकंठ में नर्मदाकेवल प्राकृतिक संपदा का अनवरत दोहन अथवा
औद्योगीकरण की प्रवृत्ति ही नर्मदा-प्रदूषण के कारण नहीं हैं । बल्कि गंदगी या
गन्दे पानी के निकास की समुचित व्यवस्था का न होना भी एक प्रमुख कारण है और यह
नर्मदा तट पर बसे हर कस्बे या नगर का हाल है । डंडोरी में बस स्टैण्ड के पीछे
नर्मदा तट पर गंदगी देखकर मन कुत्सा और घृणा से भर जाता है । सारी गंदगी सीधे
नर्मदा में बहाई जाती है इसी तरह जबलपुर के ग्वारीघाट और दरोगाघाट के आसपास एकदम
नदी तट पर गंदगी का ढेर है । जबलपुरमे तो नर्मदा के कोर एरिया मे जमकर निर्माण
कार्य भी हुआ है,होशंगाबाद में कोरीघाट और सेठानीघाट के बीच में एक नाले के
माध्यम से करीब-करीब पूरे शहर का गंदा पानी नर्मदा में गिरता है । जिस स्थान पर
गंदे पानी का झरना झरता है उसके थोडी ही दूर (सेठानी घाट में) लोग नहाते-धोते हैं
। कितनी अस्वास्थ्यकर और भयावह स्थिति है यह !
इन्दौर-खण्डवा
मार्ग पर पश्चिम निमाड जिले का औद्योगिक नगर बडवाह और उसके समीपवर्ती ग्रामीण
क्षेत्र प्रदूषण के घेरे में आ गए हैं । नगर के पूर्वी छोर पर शराब कारखाना, उत्तर दिशा में लगभग तीन कि0मी0 तक चूना उद्योग एवं दक्षिण में एनकाप्स
संयंत्र ने यहाँ के पर्यावरण को प्रभावित किया है । शराब कारखाने से निकलने वाला
अनुपयोगी पानी कारखाने से करीब दो सौ मीटर दूर जाकर चोरल नदी में गिरता है और चोरल
उसे दो कि0मी0 आगे चलकर नर्मदा में गिरा देती है । इस पानी के प्रयोग से
चर्मरोग की शिकायतें प्रकाश में आई हैं । कारखाने के आसपा गड्ढों में जमा पानी जब
मवेशी पीते हैं तो उनका पेट ढोलक की तरह फूलने लगता है ।
नर्मदा में
सर्वाधिक गंदगी भडौंच में दिखती है । शहर की सारी गंदगी सीधे नर्मदा में गिरती है
। मछली उद्योग संभवतः यहाँ सर्वाधिक होता है । मछुआरे नर्मदा तट पर ही बसे हैं ।
गंदगी में डूबी नर्मदा और गंदगी में रात-दिन जी रहीं ये गरीब जातियाँ ! और वहां बगल
में तामम पौराणिक तीर्थ ! भडौंच मल-मूत्र और गंदगी के बीच तीर्थों का एक बेमेल
पडाव है । दाण्डिया बाजार में स्वामीनारायण मंदिर के पास रैलवे पुल से करीब आधे
मील की दूर पर नर्मदा तट पर स्थित भृगु आश्रम नाम मात्र का आश्रम रह गया है ।
चारों ओर गंदगी की भरमार है । नाक दबाकर मानव मल लांघते किसी तरह आश्रम के भीतर जा
पाना संभव है ।
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